काली मिर्च - Kali Mirch
(Black Pepper)
भारत
ही एक ऐसा देश था जहाँ अनादिकाल से इसका उत्पादन होता रहा है जिसके कारण हमारे
व्यापारिक सम्बन्ध अरबों, यहूदियों,
रोम के साम्राज्य तथा चीन से बने हुए
थे. काली मिर्च को काला सोना भी कहा जाता था और सोने के बदले जहाज़ों में अन्य
मसालों के साथ लद कर रोम तक जाया करता था. वहां से अरब, यूरोप के अन्य देशों को भेजा
जाता था.
कहते
हैं भारत से लम्बे समय तक चले काली मिर्च की खरीदी से रोम का गोल्ड का भंडार ख़त्म
सा हो चला था. दक्षिण भारत के तटीय नगरों/क्षेत्रों से अब तक
प्राप्त रोमन गोल्ड मुद्राओं
के अनेकों जखीरे इस बात की पुष्टि करते प्रतीत होते हैं.
आज इंडिया के अलावा वर्ल्ड में
काली मिर्च पैदा करने वाले देश जिनका प्रोडक्शन 2016 में इस तरह से था
Disclaimer: As per Food and Agriculture Organization of the United Nation Statical division (FAOSTAT) 2018
अभी तक यही माना जाता रहा है कि काली मिर्च की खेती सिर्फ दक्षिण भारत में हो सकती है (state name display), लेकिन अब यह सीमित नहीं रहा, भारत के अन्य प्रदेशो में भी स्टार्ट हो चुका है... लेकिन छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के किसान न केवल काली मिर्च की खेती कर रहे हैं. बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
काली मिर्च का पौधा एक बारहमासी वुडी बेल है जो सहायक
वृक्षों, खम्भों या कृतिम रूप से बने सपोर्ट पर लता (vine) की तरह चढ़कर खूब पनपती है. इसकी लताएँ लम्बी एवं पुष्ट, गांठो वाली होती हैं. पत्तियाँ चिकनी, अंडाकार तथा 10-18
सें.मी. लंबी और 5-12 सें.मी. चौंड़ी होती है. काली मिर्च के बेल ऊंचाई में ४ मीटर तक बढती हैं. यह बारहमासी, जंगली पौधा साधारणतया 25-30 वर्ष
तक फलता फूलता रहता है, कहीं कहीं तो 60 वर्ष से भी अधिक तक फलता देख गया है। यह पौधा समुद्रतल से 900 मीटर यानी
की 3000 फूट की ऊँचाई तक आइडल होता है.
इसे ड्रिपिंग सिस्टम से पानी दिया जा सकता है या
बरसात पर भी निर्भर रह सकते हैं. स्वभावत: यह पौधा नमी प्रधान और 200 सेंटीमीटर से अधिक वार्षिक वर्षा वाले जगहों पर अच्छे से फल
फूल सकता है . काली मिर्च के पौधे 10 डिग्री सें. से 40
डिग्री सें. तक के तापवाले इलाकों में ही पनप सकता है.
पौधों के विस्तार के लिए इनकी कलमें काटकर बोई जाती
है। ऊँचे पेड़ों के सपोर्ट से काली मिर्च के पौधे 30 से 45 मीटर तक ऊँचे चढ़ जाते हैं लेकिन फलों को
आसानी से उतारने के लिए इन्हें 6-9 मीटर तक ही बढ़ने दिया
जाता है.
काली मिर्च
का पौधा तीसरे वर्ष के बाद से पौधे फलने लगते हैं. इसके गहरे हरे रंग के घने पौधों
पर जुलाई के बीच छोटे छोटे सफेद और हल्के पीले रंग के फूल उग आते हैं और जनवरी से
मार्च के बीच इनके नारंगी रंग के फल पककर तैयार हो जाते हैं. फल गोल और व्यास में 3-6 मि.मी. होता है.
सातवें वर्ष
से पौधों पर फलों के 100 से 150 मिलीमीटर लंबे गुच्छे लगने प्रारंभ होते हैं। सूखने पर प्रत्येक पौधे से normally
4 से 6 किलोग्राम तक गोल मिर्च मिल जाती है. इसके प्रत्येक गुच्छे पर 50-60 दाने रहते हैं। पकने पर इन
फलों के गुच्छों को उतारकर जमीन पर अथवा चटाइयों पर फैलाकर…
हथेलियों से रगड़कर गोल मिर्च के दानों को अलग किया जाता है. इन्हें 5-6 दिनों तक धूप में सूखने दिया जाता है। पूरी तरह सूख जाने पर गोल मिर्च के
दोनों के छिलकों पर सिकुड़ने से झुरियाँ पड़ जाती हैं और इनका रंग गहरा काला हो
जाता है.
काली मिर्च के ऊपर के छिलके को साफ़ कर दिए जाने पर
केवल सफ़ेद बीज ही बचा रहता है जिसे सफ़ेद काली मिर्च कहते हैं.
इसी
प्रकार हरी और लाल काली मिर्च भी होती है. यह कोई
अलग प्रकार नहीं है बल्कि केमिकल प्रोसेस करके उसके
मूल रंग को बनाये रखने का प्रयास मात्र है.
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